March 28, 2024

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अल्मोड़ा: पूर्वी पहाड़ी भाषा हिंदी से है पुरानी.. दुर्लभ अभिलेख एस.एस.जे परिसर अल्मोड़ा व पुरातत्व विभाग में मौजूद

संस्कृत, हिन्दी और कुमाऊंनी के 1105 ईसवीं के प्राचीनतम अभिलेख की छाप अल्मोड़ा में भी मौजूद है। अभिलेख को साल 1990 में पिथौरागढ़ के दिगास मंदिर से लाया गया था। तीन भाषाओं में मिलने वाला यह अद्वितीय दुर्लभ अभिलेख सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा के इतिहास और पुरातत्व विभाग में मौजूद है।

शोध में पूर्वी पहाड़ी भाषा को हिन्दी से बताया गया है पुराना

अभिलेख से पता चलता है, कि पूर्वी पहाड़ी भाषा हिन्दी से पुरानी है। भारत में अंग्रेजी शासन के समय इंग्लैंड के विद्वान और भारतीय भाषाओं के जानकार रहे ग्रियरसन ने भारतीय भाषाओं का अध्ययन करते हुए पहाड़ी भाषा समूह को तीन वर्गों में विभाजित किया था। परिसर के डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया ने बताया कि पहला समूह पूर्वी पहाड़ी, दूसरा मध्य पहाड़ी जो, कि कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र का है, और तीसरा पश्चिमी पहाड़ी जो हिमाचल से कश्मीर तक फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि ग्रियरसन ने तीनों समूह को हिन्दी आर्य यानी वैदिक संस्कृति की एक शाखा बताया था।

पिथौरागढ़ से लाया गया था अभिलेख

एस.एस.जे परिसर पूर्व विभागाध्यक्ष और इतिहासकार, पुराविद् प्रो. एमपी जोशी 1990 में पिथौरागढ़ के दिगास मंदिर से संस्कृत, हिन्दी और कुमाऊंनी के प्राचीनतम अभिलेख की छाप को अल्मोड़ा लाए थे, जिसके बाद उन्होंने इस अभिलेख का अध्ययन किया। अध्ययन में बताया कि उत्तराखंड के अभिलेखों में जो भाषा है वह हिन्दी से पुरानी है। 1983 में प्रो. जोशी की ओर से प्रकाशित एक पुस्तक में इसका उल्लेख भी किया गया है।

250 साल पुरानी दशकर्म पूजा पद्यति की पुस्तिकाएं भी मौजूद

सोबन सिंह जीना परिसर के इतिहास और पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में 250 से तीन सौ साल पुरानी दशकर्म पूजा पद्यति और श्राद्ध कर्म की पुस्तिका भी शोध छात्रों के लिए मौजूद है।

इतिहास और पुरात्व विभाग में संस्कृत, हिन्दी और कुमाऊंनी के प्राचीनतम अभिलेख की मौजूद है छाप

डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया, इतिहास और पुरातत्व विभाग ने बताया कि अल्मोड़ा एसएसजे परिसर के इतिहास और पुरात्व विभाग में संस्कृत, हिन्दी और कुमाऊंनी के प्राचीनतम अभिलेख की छाप मौजूद है। परिसर के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एमपी जोशी 1990 में इनको पिथौरागढ़ के दिगास मंदिर से यहां लाए थे।