एक समय था जब देश के किसी भी पासपोर्ट कार्यालय में बिना रिश्वत दिये पासपोर्ट नहीं मिल पाता था। आज की तारीख में विदेश मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पासपोर्ट रिश्वतखोरी से मुक्त हो चुके हैं। आज देश में सबसे ज्यादा पारदर्शी प्रक्रिया अगर कहीं है, तो वो है पासपोर्ट कार्यालय। यह भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण एक दिन में नहीं बना है। सरकार की सख्ती और लोगों की इच्छाशक्ति से यह संभव हुआ है। इसी तरह अगर रोड ट्रांसपोर्ट की बात करें तो एक समय था जब किसी भी आरटीओ पर बिना रिश्वत दिये ड्राइविंग लाइसेंस तो दूर रोड टैक्स तक नहीं जमा हो पाता था। आज देश में तमाम आरटीओ हैं, जो पूर्ण रूप से पारदर्शी बन गए हैं।
भ्रष्टाचार कम जरूर हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और यह जंग अभी बहुत लंबी है। आज हम भ्रष्टाचार की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि 9 दिसंबर को विश्व भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के आह्वान पर हर साल इस दिन लोगों को जागरूक किया जाता है, कि वे भ्रष्टाचार के दलदल से दूर रहें। लेकिन क्या आपको मालूम है, हर साल पूरी दुनिया में कई ट्रिलियन डॉलर यानी पूरी दुनिया की जीडीपी के पांच प्रतिशत के बराबर धन रिश्वत के रूप में दिया जाता है या फिर भ्रष्टाचारी धन को चुरा लेते हैं।
खैर अगर भारत की बात करें तो केंद्र सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। डिजिटल इंडिया एक बहुत बड़ी मुहिम है, जिसने पारदर्शी वातावरण बनाकर तमाम विभागों से भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंका।
भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता” के लिए प्रतिबद्ध है
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में केंद्र सरकार क्या कर रही है, इस बारे में कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र ने लोकसभा को जानकारी दी। निचले सदन में उन्होंने बताया कि भारत सरकार “भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता” के लिए प्रतिबद्ध है तथा इसने भ्रष्टाचार से निपटने और सरकारी संस्थानों में ईमानदारी और जवाबदेही को सुधारने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
2019 में नामा नागेश्वर राव द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने के लिए उठाए गए कदमों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:
* पारदर्शी नागरिक अनुकूल सेवाएं प्रदान करने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए व्यवस्थागत बदलाव और सुधार। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्न शामिल हैं:
* सरकार की विभिन्न स्कीमों के अंतर्गत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पहल के माध्यम से पारदर्शी ढंग से नागरिकों को कल्याणकारी लाभ का सीधे संवितरण।
* सार्वजनिक प्रापणों में ई-निविदा का कार्यान्वयन
* ई-शासन का आरंभ तथा प्रक्रियाओं और प्रणालियों का सरलीकरण।
* सरकारी ई-बाजार स्थल (जेम) द्वारा सरकारी प्रापणों का आरंभ।
* वर्ष 2017 से ऑनलाइन “प्रोबिटी पोर्टल” क्रियाशील है जिसके अंतर्गत विभिन्न मंत्रालय/विभाग, स्वायत्त संगठन तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आदि एफआर-56 (जे) के अंतर्गत समीक्षा, अभियोजन हेतु मंजूरी के मामले, क्रमावर्ती (रोटेशन) स्थानांतरण नीति का कार्यान्वयन और अनुशासनिक कार्यवाहियों आदि से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं ।
* भारत सरकार में समूह ‘ख’ (अराजपत्रित) एवं समूह ‘ग’ पदों की भर्ती में साक्षात्कारों को समाप्त करना। ऐसे पदाधिकारियों को समयपूर्व सेवानिवृत्त करने के लिए एफआर-56 (जे) एवं एआईएस (डीसीआरबी) नियम 1958 लागू करना जिनके कार्य निष्पादन की समीक्षा की गई हो और इसे संतोषजनक न पाया गया हो। अनुशासनिक कार्यवाहियों से संबंधित प्रक्रिया में सख्त समय-सीमाओं हेतु प्रावधान करने के लिए अखिल भारतीय सेवा (अनुशासनिक एवं अपील) नियमावली एवं केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली में संशोधन किया गया है।
* रिश्वत देने के कृत्य को स्पष्ट रुप में अपराध घोषित कर तथा रिश्वत देने के कृत्य में सहमति रखने अथवा मिलीभगत करने वाले वाणिज्यिक संगठनों के वरिष्ठ प्रबंधन के संबंध में प्रातिनिधिक दायित्व तय करके भष्टाचार के बड़े मामले को रोक कर भ्रष्टाचार से निपटने में आमूलचूल बदलाव लाने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 को दिनांक 26.07.2018 को संशोधित किया गया। संगठनों को मुख्य सरकारी प्रापण गतिविधियों में सत्यनिष्ठा समझौता अपनाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा अनुदेश जारी करना और जहां कोई अनियमितता/कदाचार ध्यान में आए
वहां प्रभावी एवं त्वरित अन्वेषण सुनिश्चित करना।
लोकपाल की नियुक्ति
चार न्यायिक सदस्यों सहित अध्यक्ष और आठ सदस्यों की नियुक्ति द्वारा लोकपाल की संस्था को शुरू किया गया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत लोक सेवकों के विरुद्ध कथित अपराधों के संबंध में लोकपाल को शिकायतों को सीधे प्राप्त करने और उन पर स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करने का सांविधिक अधिदेश प्राप्त है।
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सर्वोच्च सत्यनिष्ठा के संस्थान रूप में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति और दृष्टिकोण अपनाया है जिसमें दण्डात्मक, निवारक एवं प्रतिभागी सतर्कता सम्मिलित हैं।
इस मंत्रालय ने संगत सूचनाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु सहायता करने के लिए अनेक कदम उठाए है। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:
1. लोक प्राधिकारियों के नियंत्रणाधीन सूचनाओं तक नागिरकों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सूचना का अधिकार की व्यवहारिक प्रणाली की स्थापना करने के लिए सूचना का अधिकार (आटीआई) अधिनियम, 2005 का अधिनियमन।
2. नागरिकों द्वारा सूचना का अधिकार आवेदनों तथा प्रथम अपीलों को ऑनलाइन दर्ज करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने हेतु सभी केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों/केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए यूआरएल www.rtionline.gov.in के साथ आरटीआई ऑनलाइन नामक वेब पोर्टल शुरु करना।
3. लोक प्राधिकारियों द्वारा सूचना के स्वःप्रेरण प्रकटन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया गया।
4. आरटीआई आवेदकों द्वारा सूचना प्राप्त करना विधाजनक बनाने के लिए हेल्पलाइन की स्थापना करने हेतु विभिन्न राज्य सरकारों को धनराशि प्रदान करना। दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों और क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम, सूचना का अधिकार से संबंधित विवरणिकाओं के प्रकाशन और इसके जनता में वितरण जैसे कदमों के माध्यम से देश के नागरिकों में जागरुकता लाने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष विभिन्न राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) को धनराशि प्रदान की जाती है।