ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ की मदद से अमीनो एसिड से बना एक जेल विकसित किया है जिसको मस्तिष्क में इंजेक्ट किया जा सकता है। और इसके एक बार इस्तेमाल के बाद पार्किंसंस और मस्तिष्क संबंधी अन्य बिमारियों के इलाज के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
दिमागी क्षति की मरम्मत करने में काफी मददगार साबित हो सकता है
शोध में यह सामने आया है कि मस्तिष्क में इंजेक्ट करने के बाद यह दिमागी क्षति की मरम्मत करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। यह हाइड्रोजेल मस्तिष्क के उन भागों का इलाज कर सकता है जिनमें सक्रिय तत्व नहीं पाये जाते हैं।
चिकित्सा जगत में इसे गेम चेंजर कहा जा रहा है
यूनिवर्सिटी शोधकर्ताओं की टीम ने इसकी खूबियों के बारे में बताया कि इसको हिलाकर तरल पदार्थ में बदल दिया जाता है जिससे मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं में प्रवेश करना सुगम हो जाता है। नसों में प्रवेश करने के बाद यह अपने मूल रूप में थक्का बनने की प्रक्रिया शुरू कर देता है। और इस प्रकार यह मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्सों तक पहुंचने वाली स्टेम कोशिकाओं को आसानी से बदल देता है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड निस्बेट बताते हैं कि इस शोध को चिकित्सा जगत में गेम चेंजर कहा जा रहा है क्योंकि यह एक ही बार में इस्तेमाल करके फायदेमंद साबित हो सकता है।
चूहों में पार्किंसंस रोग पर इसका स्पष्ट प्रभाव दिखाई दिया है
शोधकर्ताओं द्वारा आविष्कार किया गया हाइड्रोजेल का परीक्षण अभी तक केवल जानवरों पर किया गया है। चूहों पर इन प्रयोगों कि रिपोर्ट से पता चला कि इन चूहों में पार्किंसंस रोग पर इसका स्पष्ट प्रभाव दिखाई दिया है। प्रोफेसर डेविड ने बताया है कि जब यह निश्चित हो जाएगा कि इंसानों के लिए इसका इस्तेमाल करना सुरक्षित है, तो अगले 5 सालों में इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू किये जाने की पूरी उम्मीद है।
उत्पादन और उपयोग से बहुत सारे पीड़ितों को रोग से छुटकारा दिलवाया जा सकेगा
शोधकर्ता प्रोफेसर डेविड ने बताया कि इस नए हाइड्रोजेल का उत्पादन अपेक्षाकृत सस्ता है और इसे आसानी से बड़े पैमाने पर उत्पादित किया जा सकेगा। उनके अनुसार यह उत्पादन और भी आसान हो जाएगा जब इसे नियामकों द्वारा मंजूरी मिल जाएगी और उसके बाद इसके उत्पादन और उपयोग से बहुत सारे पीड़ितों को रोग से छुटकारा दिलवाया जा सकेगा।