संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को एक विचार गोष्ठि में चेतावनी वाले शब्दों में कहा है कि दुनिया भर के लगभग आधे बच्चों को हर साल, ऑनलाइन और ऑफ़लाइन हिंसा का अनुभव करना पड़ता है, जिसके उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिये, विनाशकारी और जीवन पर्यन्त परिणाम होते हैं।
यूएन प्रमुख ने उच्च स्तरीय राजनैतिक फ़ोरम (फथझइ) द्वारा मानसिक स्वास्थ्य और जीवन बेहतरी विषय पर आयोजित एक विचार गोष्ठि को वीडियो सम्बोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ, लम्बे समय से अनदेखी और कम संसाधन निवेश जैसी मुश्किलों का शिकार रही हैं, और ज़रूरतमन्द बच्चों में से बहुत कम को ही ये सेवाएँ उपलब्ध हो पा रही हैं ।
सेवाओं में कटौती
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, कोविड-19 महामारी ने समस्या को कई गुना बढ़ा दिया है । करोड़ों बच्चे स्कूलों से बाहर हैं जिसके कारण वो हिंसा और मानसिक दबाव के लिये कमज़ोर हो गए हैं, जबकि उनके लिये ज़रूरी सेवाओं में या तो कटौती हुई है या वो ऑनलाइन काम करने लगी हैं ।अब जबकि हम सभी, एक मज़बूत आर्थिक पुनर्बहाली में संसाधन निवेश करने पर विचार कर रहे हैं तो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी को सहायता देना एक प्राथमिकता होनी चाहिये ।
देशों की सरकारों से आग्रह
उन्होंने कहा, “मैं देशों की सरकारों से भी ये आग्रह करता हूँ कि वो बच्चों और परिवारों की सामाजिक संरक्षा के पुख़्ता इन्तज़ाम करके, उनके मानसिक स्वास्थ्य के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने वाला निषेधात्मक रुख़ अपनाएँ ।समुदाय आधारित देखभाल तरीक़ों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहायता, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के अभिन्न अंग हैं । इन पहलुओं को भुलाया नहीं जा सकता ।
बच्चे का नज़रिया व योगदान
यूएन प्रमुख ने कहा कि बच्चे, एक दूसरे के मानसिक स्वास्थ्य में मदद करने में अहम भूमिका निभाते हैं । उन्हें समाधान के एक हिस्से के रूप में ही सशक्त बनाया जाना चाहिये ।गुरूवार की इस बैठक का आयोजन, संयुक्त राष्ट्र में बेल्जियम के स्थाई मिशन और मानसिक स्वास्थ्य और बेहतरी पर ग्रुप ऑफ़ फ्रेण्ड्स ने मिलकर किया था । इस बैठक में 19 देशों के बच्चों के योगदान को दिखाने वाली वीडियो भी प्रस्तुत की गई जिन्होंने एक दूसरे की मदद करने के लिये क्या क़दम उठाए ।
मानसिक बीमारी की मानवीय क़ीमत के साथ-साथ, आर्थिक क़ीमत भी बहुत भारी होती है
बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा पर, संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि माआला माजिद ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर, हिंसा के विनाशकारी प्रभाव की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया ।बचपन में हिंसा से दो-चार होना और अन्य कड़वे अनुभव करने से, मानसिक दबाव के ऐसे सिलसिले शुरू हो जाते हैं जिनसे तात्कालिक और दीर्घकालिक शारीरिक सक्रियता सम्बन्धी और मनोवैज्ञानिक नुक़सान होते हैं ।
उन्होंने कहा, मानसिक बीमारी की मानवीय क़ीमत के साथ-साथ, आर्थिक क़ीमत भी बहुत भारी होती है ।