September 22, 2023

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डॉ नवीन भट्ट बने स्वामी विवेकानंद शोध एवम अध्ययन केंद्र के निदेशक

अल्मोड़ा: सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा द्वारा स्वामी विवेकानंद शोध एवम अध्ययन केंद्र की स्थापना कर योग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट को इसका निदेशक नियुक्त किया गया है। ज्ञात हो कि स्वामी विवेकानन्द द्वारा उत्तराखंड के अनेक स्थानों पर प्रवास किया व ध्यान कर ज्ञान की प्राप्ति की ।स्वामी विवेकानन्द  द्वारा अमेरिका जाने से पूर्व अल्मोड़ा में कई अनुभव प्राप्त किये है।इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए  विश्वविद्यालय का स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्धयन केंद्र  रचनात्मक  एवम सेवा कार्यों के माध्यम समाज को लाभान्वित करने का प्रयास करेगा।

योग विज्ञान विभाग के अंतर्गत ही इसे संचालित किया जाएगा

विश्वविद्यालय द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्य को संपादित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा योग विज्ञान विभाग के अंतर्गत ही इसे संचालित करने का निर्णय लिया गया है।इस महत्वपूर्ण पीठ की  स्थापना से जहाँ वेद,पुराण व उपनिषद,दर्शन के माध्यम से स्वामी विवेकानंद जी के योगदान पर प्रकाश पड़ सकेगा वही स्वामी विवेकानन्द अल्मोड़ा को एक वैदिक शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करना चाहते थे। इस पीठ की स्थापना से विश्वविद्यालय राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी  छवि बना सकेगा।साथ ही रचनात्मक,सामाजिक व अनेक प्रकार के सेवा कार्य भी इस पीठ द्वारा समय -समय पर संचालित होंगे।साथ ही योग,दर्शन व पर्यटन के क्षेत्र भी नए कार्य किये जा सकेंगे।स्वामी विवेकानन्द शोध एवम अध्धयन केंद्र के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्व को देखते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एन एस भंडारी द्वारा योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट को संयोजक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है।

डॉ नवीन भट्ट की दर्जनों से अधिक पुस्तकें हो चुकी प्रकाशित

डॉ नवीन भट्ट पिछले 16 वर्षों से योग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष है।जिनकी दर्जनों से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेको शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके है। डॉ  भट्ट द्वारा अनेकों सेमिनारों,वेबिनारों ,प्रशिक्षण शिविरों ,कार्यशालाओं अनेकों जनजागरण कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को लाभान्वित करने के प्रयास करते आ रहे है।स्वामी विवेकानन्द शोध एवम अध्धयन केंद्र के निदेशक के रूप में उनका कहना है कि स्वामी विवेकानन्द ने उत्तराखंड में अनेकों अनुभूतियां अनुभव की है व हिमालय की उपत्यकाओं में उनका वैदिक केन्द्र स्थापित करना चाहते थे ताकि सामाजिक परिवर्तन किया जा सकें।इस दिशा में प्रयास किया जाएगा।

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