अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है इसके भी कुछ दायरे हैं, अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा‌ सकते- हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान श्री राम और श्री कृष्ण को लेकर सोशल मीडिया पर की गई अश्लील टिप्पणी के आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है, इसके लिए कुछ प्रतिबंध भी हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है।

सोशल मीडिया पर की थी अभद्र टिप्पणी

कोर्ट ने भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया पर अश्लील टिप्पणी करने वाले आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश की दोबारा ऐसे अपराध न करने की चेतावनी देते हुए जमानत मंजूर कर ली है। बता दें कि याची पिछले 10 माह से जेल में बंद है। कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है। जिस देश में रह रहे हैं, उस देश के महापुरुषों, संस्कृति का सम्मान करना जरुरी है। कोई ईश्वर को मानें या न मानें, लेकिन उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार बिल्कुल नहीं है। कोर्ट ने कहा हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की रही है। हम सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित दुःख भाग भवेत की कामना करने वाले लोग हैं।

राम-कृष्ण के खिलाफ टिप्पणी माफी योग्य नहीं

कोर्ट ने कहा, राम-कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी माफी योग्य नहीं है। हिन्दुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी कृष्ण भक्त रहे हैं। कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर बताया कि रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह, नज़ीर अकबराबादी राम कृष्ण भक्त रहे हैं। कोर्ट ने कहा ऐसे में अभिव्यक्ति के नाम पर असीमित स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, और देश में अगर राम कृष्ण का अपमान होता है तो यह पूरे देश का अपमान है, जो बिल्कुल बर्दाश्त के लायक नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा की ईद पर गोवध पर पाबंदी है, वध करना अपराध है, सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है। अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है।राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि यह अपराध है। कोर्ट ने कहा सामाजिक समरसता रामायण से इतर कहीं नहीं दिखती। सबरी के जूठे बेर खाने से लेकर निषादराज को गले लगाने तक सामाजिक समरसता का ही संदेश दिया गया है।