राज्य सरकार के आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथिक दवा लिखने के संबंध में लिए गए फैसले पर (आईएमए) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड ने आपत्ति जताई है । एसोसिएशन का कहना है कि इस फैसले से मरीजों को नुकसान होगा । उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी है।
आयुष मंत्री हरक सिंह ने घोषणा की कि सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में इमरजेंसी के समय आयुष डॉक्टर एलोपैथिक दवा लिख सकेंगे। आयुष मंत्री की इस घोषणा के बाद अब आयुर्वेदिक चिकित्सक एलोपैथिक दवाइयां लिख पाएंगे।
मिक्सोपैथी से उपचार नहीं किया जा सकता
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) उत्तराखंड के सचिव डा. अजय खन्ना ने कहा कि पहले भी इस तरह की बात प्रकाश में आयी थी । जिसको लेकर उन्होंने करीब एक महीने पहले मुख्य सचिव को पत्र भी भेजा था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, नेशनल मेडिकल कमीशन समेत कई अन्य स्तरों से यह स्पष्ट आदेश है कि किसी भी मरीज पर मिक्सोपैथी दो पैथियों को मिलाकर उपचार नहीं किया जा सकता है उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह भी स्पष्ट है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथिक का कार्य नहीं कर सकते , जिन आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने कभी एलोपैथ की पढ़ाई नहीं की, वो दवा कैसे लिख सकते हैं? सरकार को मरीजों की जान से नहीं खेलना चाहिए। सरकार सिर्फ ये दिखाना चाहती है कि हमने डॉक्टर उपलब्ध करा दिए हैं इसलिए इस तरह के फैसले ले रही है।
योगाभ्यास के बाद की गयी घोषणा
आयुष मंत्री हरक सिंह ने हर्रावाला स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज में योगाभ्यास के बाद घोषणा की कि सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में इमरजेंसी के समय आयुष डॉक्टर एलोपैथिक दवा लिख सकेंगे।
आयुष मंत्री की इस घोषणा से ऐलोपैथिक डॉक्टर असंतुष्ट दिखे और उन्होंने कड़ा विरोध जताया।