पीएम मोदी ने आज शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि 100 करोड़ मुफ्त टीकाकरण देश के लिए असाधारण उपलब्धि है। यह सभी भारतीयों की सफलता है। पीएम के संबोधन से कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के ट्विटर हेंडल से एक ट्वीट शेयर किया गया था, जिसमें लिखा था कि ”पीएम मोदी आज सुबह 10 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे।”
देश ने कर्तव्य का पालन किया तो मिली बड़ी सफलता
इसके पश्चात पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत एक वेद वाक्य के साथ करते हुए कहा ‘कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो मे सव्य आहितः॥’ इस बात को भारत के संदर्भ में देखें तो बहुत सीधा-साधा अर्थ यही है कि हमारे देश ने एक तरफ कर्तव्य का पालन किया तो दूसरी तरफ उसे बड़ी सफलता भी मिली।
इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्य शक्ति
आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा, कल 21 अक्टूबर को भारत ने 1 बिलियन (100 करोड़) वैक्सीन डोज का कठिन, लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्य शक्ति लगी है, इसलिए ये सफलता भारत की सफलता है, हर देशवासी की सफलता है। मैं इसके लिए सभी देशवासियों को हृदय से बधाई देता हूं। 100 करोड़ वैक्सीन डोज, ये केवल एक आंकड़ा नहीं है, ये देश के सामर्थ्य का प्रतिबिम्ब है। इतिहास के नए अध्याय की रचना है। यह उस नए भारत की तस्वीर है जो कठिन लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें हासिल करना जानता है। यह उस नए भारत की तस्वीर है जो अपने संकल्पों की सिद्धि के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करता है।
भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से
पीएम मोदी ने कहा आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं। भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, 1 बिलियन का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है। लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहां से की है। दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकी expertise थी। भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था।
100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर उठने लगे थे सवाल
इसी वजह से जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हर सवाल का जवाब दे रही है। भारत ने अपने नागरिकों को 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई हैं और वो भी मुफ्त।
लोकतंत्र का मतलब है-‘सबका साथ’
उन्होंने कहा, ये भी होगा कि दुनिया अब भारत को कोरोना से ज्यादा सुरक्षित मानेगी। एक फार्मा हब के रूप में भारत को दुनिया में जो स्वीकृति मिली हुई है उसे और मजबूती मिलेगी। पूरा विश्व आज भारत की इस ताकत को देख रहा है, महसूस कर रहा है। भारत का वैक्सीनेशन अभियान सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का सबसे जीवंत उदाहरण है। कोरोना महामारी की शुरुआत में ये भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि भारत जैसे लोकतंत्र में इस महामारी से लड़ना बहुत मुश्किल होगा। भारत के लिए, भारत के लोगों के लिए ये भी कहा जा रहा था कि इतना संयम, इतना अनुशासन यहां कैसे चलेगा? लेकिन हमारे लिए लोकतंत्र का मतलब है-‘सबका साथ’
वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर नहीं होने दिया हावी
पीएम मोदी ने कहा, सबको साथ लेकर देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीन’ का अभियान शुरू किया। गरीब-अमीर, गांव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं नहीं करती, तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता। इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर हावी न हो। कोई कितने ही बड़े पद पर क्यों न रहा हो, कितना ही धनी क्यों न रहा हो उसे वैक्सीन सामान्य नागरिकों की तरह ही मिलेगी।