भारतीय सेना ने डेडिकेट प्रेट कॉरिडोर पर किया सैन्य ट्रेन का सफल परीक्षण

भारतीय सेना ने डेडिकेट प्रेट कॉरिडोर का सफल ट्रायल किया। हरियाणा के न्यू रेवाड़ी से राजस्थान के न्यू फुलेरा तक बनाये गए ​डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर वाहनों, उपकरणों और भारी-भरकम टैंकों से लदी एक सैन्य ट्रेन चलाकर रेलवे ट्रैक का परीक्षण सफल हुआ।

डीएफसी के 306 किलोमीटर लंबे रेवाड़ी-मदार खंड का उद्घाटन किया​ गया

इस कॉरिडोर का इसी साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ​​​पश्चिमी गलियारे पर डीएफसी के 306 किलोमीटर लंबे रेवाड़ी-मदार खंड का उद्घाटन किया​ था​​​।आपको बताते चले की डीएफसी के तहत दो कॉरिडोर का निर्माण  किया जा रहा है​​।​​​ पश्चिमी डीएफसी 1,506 किमी​.​ और पूर्वी डीएफसी 1,875 किमी​.​ से अधिक लंबा है।​
सेना ने परीक्षण के बाद सैन्य आवाजाही के लिए डीएफसी के असर को सराहा है  डीएफसी पर मालगाड़ियां 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ेंगी जबकि भारतीय रेलवे की सामान्य पटरियों पर यह स्पीड 70 किमी प्रति घंटा स्पीड होती है।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर सैन्य ट्रेन का सफल ट्रायल

सेना की ओर से मंगलवार को बताया गया कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर न्यू रेवाड़ी से न्यू फुलेरा तक वाहनों और उपकरणों के साथ एक सैन्य ट्रेन का सफल ट्रायल रन किया गया। डीएफसी भविष्य में भारतीय सेना की लामबंदी को तेज करेगा। यह परीक्षण ​डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की प्रभावशीलता को प्रमाणित करने के लिए किया गया।​ यह परीक्षण सशस्त्र बलों की  संचालनात्मक तैयारी को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए, इस प्रक्रिया में पहला कदम है। यह पहल योजना स्तर पर ही राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के विकास में सैन्य आवश्यकताओं को जोड़े जाने में मदद करेगी। भारतीय रेलवे हाल ही में विकसित​ ​​​डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर देश भर में माल की तेजी से आवाजाही प्रदान करता है।

सशस्त्र बलों के मोबिलाइजेशान में होगी सुविधा

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) और भारतीय रेलवे के साथ भारतीय सेना ​का यह परीक्षण सशस्त्र बलों की क्षमता में काफी वृद्धि करेगा। ​यह परीक्षण राष्ट्रीय संसाधनों के अनुकूल और विभिन्न मंत्रालयों ​व विभागों के बीच सहज तालमेल हासिल करने के लिए ​किया गया था।​ ​​भारतीय सेना अब डीएफसी और संबद्ध बुनियादी ढांचे ​का इस्तेमाल सशस्त्र बलों के मोबिलाइजेशान में करेगी। रोल ऑन-रोल ऑफ (आरओ-आरओ) सेवा पर रक्षा के स्वामित्व वाले रोलिंग स्टॉक की आवाजाही को मान्य करने के लिए मोबिलाइजेशन और ट्रायल का समर्थन करने के लिए कुछ स्थानों पर बुनियादी ढांचे के विकास को औपचारिक रूप दिया जा रहा है और तौर-तरीके विकसित किए जा रहे हैं।