शिक्षक दिवस 2022: प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेताओं के साथ आज करेंगे बातचीत

पीएम मोदी आज शिक्षक दिवस के अवसर पर आज शाम 4:30 बजे 7 लोक कल्याण मार्ग पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, 2022 के विजेताओं से बातचीत करेंगे। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के बेहतरीन शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को सेलिब्रेट करना और उनका सम्मान करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध किया है।

देशभर से 45 शिक्षकों का चयन

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत मेधावी शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता प्रदान करता है। इस पुरस्कार के लिए इस साल देश भर से 45 शिक्षकों का चयन, तीन चरण की एक कठोर और पारदर्शी ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है।

आज लोग शिक्षा के महत्त्व को समझ रहे

आज लोग शिक्षा के महत्त्व को समझते हैं, अनपढ़ रहने में शर्म और संकोच महसूस करते हैं, पढ़ने में अपनी शान समझते हैं। गरीब से गरीब परिवार के लोग भी आज अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विद्यालय भेजने लगे हैं। यह शिक्षा के क्षेत्र में एक जबरदस्त क्रांति है, जिसमें शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। और यह क्रांति को लाने में भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अहम भूमिका रही ।

क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस ?

उल्लेखनीय है कि हर वर्ष 5 सितम्बर को भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इनका जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु के तिरुटन्नी में पांच सितम्बर 1888 को हुआ तथा इन्हें भारतीय दर्शन का इतना गहरा ज्ञान था कि इस विषय पर व्याख्यान देने के लिए दुनिया के कई देशों से इन्हें आमंत्रण मिलते रहता था। लोग इनके व्याख्यानों को बड़ी ही रुचि के साथ सुनते थे और भारतीय दर्शन के मर्म को समझते थे।

इनके आकर्षक व्यक्तित्व का सम्मान करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने ”सर” की उपाधि प्रदान की। एक आदर्श शिक्षक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले स्वतंत्र भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को ”शिक्षक दिवस” के रूप में मनाए जाने की घोषणा की, ताकि लोग शिक्षकों का सम्मान करें, उनके महत्त्व को समझें। आज भी देश में शिक्षा की क्रांति लाने में सबसे अहम भूमिका शिक्षकगणों की है।

आज के समय में कैसे शिक्षकों की जरूरत ?

आज ऐसे शिक्षकों की जरूरत है, जो पाठ्यक्रम का शिक्षण देने के साथ जीवन को संवारने वाला शिक्षण भी अपने व्यक्तित्व से दे सकें। ऐसे ही जबरदस्त व्यक्तित्व के स्वामी थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन। वह एक ऐसे आदर्श शिक्षक थे, जिन्होंने ना केवल व्याख्यानों के माध्यम से भारतीय दर्शन का मर्म समझाया, बल्कि, अपने व्यक्तित्व के माध्यम से भी शिक्षण दिया। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है व्यक्तित्व गढ़ना। यदि शिक्षा के माध्यम से केवल जीवन के आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति होती है और व्यक्तित्व निर्माण का उद्देश्य अधूरा रह जाता है तो ऐसी शिक्षा अधूरी है, एकांकी है।