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हर वर्ष 17 सितम्बर को विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है । इस दिन ही ऋषि विश्वकर्मा की पूजा की जाती है ।विश्वकर्मा पूजा के दिन दुकान, कार्यालय, कारखाने, उद्योग आदि में भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। विश्वकर्मा जी के आशीर्वाद से लोगों को बिजनेस और नौकरी में तरक्की मिलती है, परिवार की उन्नति होती है।
क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा?
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन ही ऋषि विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि को संवारने की जिम्मेदारी भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा को सौंपी। ब्रह्मा जी को अपने वंशज और भगवान विश्वकर्मा की कला पर पूर्ण विश्वास था। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया तो वह एक विशालकाय अंडे के आकार की थी। उस अंडे से ही सृष्टि की उत्पत्ति हुई। कहते हैं कि बाद में ब्रह्माजी ने इसे शेषनाग की जीभ पर रख दिया। शेषनाग के हिलने से सृष्टि को नुकसान होता था। इस बात से परेशान होकर ब्रह्माजी ने भगवान विश्वकर्मा से इसका उपाय पूछा। भगवान विश्वकर्मा ने मेरू पर्वत को जल में रखवा कर सृष्टि को स्थिर कर दिया। भगवान विश्वकर्मा की निर्माण क्षमता और शिल्पकला से ब्रह्माजी बेहद प्रसन्न हुए । और तभी से भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माने जाते हैं ।
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