मलेरिया को अब तक खून और लिवर संक्रमित बीमारी माना जाता है। लेकिन अब एक नई रिसर्च के मुताबिक मलेरिया रोगियों में मुख्य रूप से फेफड़े, आंतों के म्यूकस झिल्ली में संक्रमण के प्रतिकार में बनी एंटीबॉडी का पता चला है।यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के रिसर्च के मुताबिक, इससे इस बात की जानकारी मिलेगी कि इंसानी शरीर मलेरिया संक्रमण के विरुद्ध किस प्रकार से प्रतिरोध करता है, जिससे इस बीमारी का नया इलाज या टीका विकसित करने में मदद मिल सकती है।
आईजी ए (IgA) एंटीबाडी किस प्रकार से विकसित हुई इस बात का नहीं हुआ खुलासा
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल संक्रामक रोगों की एसोसिएट प्रोफेसर एंड्रिया बेरी ने बताया कि हमें नहीं पता कि आईजी ए (IgA) एंटीबाडी किस प्रकार से विकसित हुई, लेकिन हमारा मानना है कि ये मलेरिया संक्रमण के शुरुआती दौर में हुआ होगा।बच्चों और वयस्कों में इस प्रकार के अंतर के बारे में कई संभावित स्पष्टीकरण दिए जा सकते हैं। बेरी ने कहा कि हो सकता है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम मलेरिया पैरासाइट के विरुद्ध वयस्कों की तुलना में अलग ढंग से प्रतिकार करता हो या फिर संभव है कि आईजी ए (IgA) एंटीबाडी सिर्फ मलेरिया के पहले संक्रमण के दौरान बनी हो। एसोसिएट प्रोफेसर एंड्रिया बेरी ने आगे बताया कि वयस्क प्रतिभागियों के बारे में शोधकर्ताओं को मालूम था कि वे पहली बार संक्रमित हुए, जबकि बच्चों के बारे में ऐसी कोई जानकारी नहीं थी कि उन्हें पहले कभी संक्रमण हुआ था या नहीं। इसके साथ ही वयस्कों में संक्रमण और उनके सैंपल कलेक्शन के समय में भी समानता थी, जबकि बच्चों के बारे में इसकी जानकारी नहीं थी कि उन्हें कब संक्रमण हुआ। उन्हें तो प्रयोग के दौरान आकस्मिक रूप से संक्रमण हुआ था। आगे की जांच में क्या होगा बेरी ने कहा कि अब वे इसकी जांच कर सकते हैं कि क्या आईजी ए (IgA) एंटीबाडी मलेरिया पैरासाइट को लिवर या लाल रक्त कोशिकाओं में जाने से रोकता है। इस बात की भी पड़ताल की जाएगी कि आईजीए (IgA) एंटीबाडी मलेरिया संक्रमण में किस प्रोटीन को निशाना बनाता है और क्या ये वैक्सीन विकसित करने के उपयुक्त हो सकते हैं।