खेती छोड़ रहे मायुस किसान अब प्याज की खेती के जरिये अपनी आर्थिकी सुधार पाएंगे । कालिका वन अनुसंधान केंद्र में प्रयोग सफल होने के बाद विभागीय स्तर पर ग्रामीणों को वनप्याज की खेती की तकनीक के बारे में जानकारी दी जाएगी । इससे उनकी आय भी बढ़ेगी ।
बीते वर्ष डेढ़ हेक्टेयर में एक हजार से ज्यादा वनप्याज के बल्व लगाए थे
रानीखेत के कालिका वन अनुसंधान केंद्र में पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के वन क्षेत्रों में बहुतायत में उगने वाले वन प्याज के बल्ब लगाये गए । सभी बल्ब अंकुरित हुए। फिर बेमौसम भी इसका प्रयोग किया गया। जिसमें वह सफल हुए । काफी लंबे शोध व अध्ययन के बाद कालिका वन अनुसंधान केंद्र के शोध कार्मिकों ने बीते वर्ष डेढ़ हेक्टेयर में एक हजार से ज्यादा वनप्याज के बल्व लगाए थे। लहसुन के आकार वाले ये बल्व परिपक्व पौधे बन गये हैं ।
ग्रामीणों को प्रेरित किया जाएगा
वन क्षेत्राधिकारी आरपी जोशी का कहना है कि लहसुन के आकार वाले जंगली प्याज के बल्ब लगाने का सही समय नवंबर का है। जनवरी से फरवरी तक फसल तैयार हो ही जाती है। हमने बेमौसम में भी बल्ब लगाए। यह प्रयोग सफल रहा। यह औषधीय गुणों का भंडार है। ग्रामीणों को इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
जाने औषधीय गुण
प्याज में कई ऐसे औषधीय गुण है जैसे यह वन प्याज विटामिन-सी व बी6, लौहतत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट आदि अहम तत्वों के साथ ही एंटी आक्सीडेंट से भरपूर है । और यह त्वचारोग, गठिया, घुटने व जोड़ों के दर्द में भी यह सहायक सिद्ध हुआ है ।