परशुराम की जयंती आज, जानें परशुराम और गणपति से जुड़ी कथा, जिसके बाद गणपति कहलाए एकदंती

हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम की जयंती मनाई जाती है । इस वर्ष आज  3 मई को परशुराम जयंती मनाई जा रही है । वे भोलेनाथ के परम भक्त थे । भले ही उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन उनके गुणों से क्षत्रियों की भांति थे।

विष्णु के अवतार माने जाते हैं परशुराम

कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था ।  ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र परशुराम थे।

शिवजी ने प्रसन्न होकर दिये थे अस्त्र

पौराणिक कथाओं के अनुसार धरती पर हो रहे अन्याय, अधर्म और पाप कर्मों का विनाश करने के लिए परशुराम जी का जन्म  हुआ था।  वे शिवजी के परम भक्त थे । उनकी साधना से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे । परशु भी उनमें से एक हथियार था । जिस कारण उन्हें परशुराम कहा जाने लगा । पौराणिक कथाओं में वे अपने प्रताप, ज्ञान, भक्ति के अलावा अपने क्रोध के लिए भी जाने जाते हैं ।

ऐसे एकदंत कहलाए गणपति

पौराणिक कथाओं  के अनुसार भगवान परशुराम के क्रोध से गणपति भी नहीं बच पाये थे। कथाओं के अनुसार  एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। तबसे   भगवान गणेश को एकदंत कहा जानें लगा ।