उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश सरकार ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को मरीजों को आपात स्थिति में चुनिंदा एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति देने का फैसला किया है।
राज्य के दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के हित में किया फैसला-
आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने सोमवार को उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य के दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के हित में यह फैसला किया गया है।
स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित लोगों को मिलेगा फायदा-
इससे राज्य की 80 प्रतिशत आबादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है और उन्हें इससे काफी फायदा होगा। मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में करीब 800 आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं और लगभग इतनी ही संख्या में आयुर्वेदिक औषधालय हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में हैं।
आईएमए ने दी प्रतिक्रिया-
मंत्री की इस घोषणा पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), उत्तराखंड ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे गैरकानूनी ठहराया। जिसमें कहा गया कि मिक्सोपैथी’ आपात स्थिति में मरीजों को नुकसान ही पहुंचाएगी।
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