उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है यहां रुद्रपुर में वर्ष 2018 में आठ साल के नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कुकर्म के आरोपी युवक को सात साल की सजा और बीस हजार रुपये का अर्थदंड देने का निर्णय सुनाया। इस दौरान एडीजीसी ने आरोप सिद्ध करने के लिए पॉक्सो अदालत में नौ गवाह पेश किए। दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
आठ साल के बच्चे के साथ अप्राकृतिक कुकर्म करने का लगा था आरोप
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विकास गुप्ता ने बताया कि चार फरवरी 2018 को गांव शिमला पिस्तौर के रहने वाले एक व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि उसका आठ वर्षीय भतीजा घर के निकट स्थित एक धार्मिक स्थल के समीप बच्चों के साथ शाम पाँच बजे खेल रहा था कि तभी वहीं का रहना वाला अशोक उर्फ़ पछुआ नाबालिग को पकड़कर दूसरी गली स्थित ख़ाली पड़े मकान में ले गया। आरोप था कि आरोपी युवक नाबालिग के साथ अप्राकृतिक कुकर्म करने लगा। जब नाबालिग घर नहीं पहुंचा। तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की। तो बच्चों ने पूरा घटना क्रम बताया। जैसे ही खाली पड़े मकान में परिवार के लोग पहुंचे। तो अप्राकृतिक कुकर्म कर रहा युवक घबरा गया। नाबालिग को मुक्त कराते हुए युवक को पुलिस के सुपूर्द कर दिया।
वर्ष 2018 का है मामला, एडीजीसी ने पेश किए नौ गवाह
पुलिस ने तहरीर के आधार पर युवक अशोक उर्फ पछुआ के विरुद्ध धारा 367,377,34 आईपीसी एवं 7/8 लैंगिग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जेल भेज दिया। मामले की सुनवाई करते एडीजीसी ने नौ गवाह पेश किए। दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद पॉक्सो न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने दोषी युवक अशोक को सात साल कठोर कारावास और बीस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।