विश्व दुग्ध दिवस को मनाने की कबसे हुई शुरूवात, जानें इतिहास और थीम

हर वर्ष 1 जून को विश्व दूध दिवस मनाया जाता है। यह लोगों को दूध के फायदों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। दूध पोषक खाद्य पदार्थों में से एक है। इसकी शुरुआत 2001 में हुई थी। आपको बता दें कि पोषण का एक बड़ा स्रोत होने के अलावा, दूध और डेयरी उत्पाद दुनिया भर में लोगों के लिए आजीविका का एक बड़ा साधन भी हैं।

जानें इतिहास

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने 2001 में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में चुना । विश्व दुग्ध दिवस पहली बार 2001 में पूरे विश्व में मनाया गया और इस आयोजन में कई देशों ने भाग लिया । यह दिन को मनाने का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में स्थिरता, आर्थिक विकास, आजीविका और पोषण में योगदान का जश्न  है । 

भारत सहित दुनिया भर में जहां 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है । वही भारत में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस भी मनाया जाता है । राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पहली बार 26 नवम्बर 2014 को मनाया गया था । बता दें कि ये दिन डॉ. वर्गीज कुरियन के सम्मान में मनाया जाता है जिनको भारत में श्वेत क्रांति का जनक माना जाता है ।  डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर को हुआ था जिसकी वजह से इस दिन को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

इस साल की थीम

साल 2022 के लिए विश्व दुग्ध दिवस पर एफएओ ने जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित रखते हुए इस बात पर जोर देने का प्रयास किया है कि डेयरी उद्योग कैसे इसके पर्यावरणीय प्रभावों को कम कर सकता है ।  इसमें एक लक्ष्य उद्योग द्वारा ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम कर और बेहतर कचरा प्रबंधन करके अगले 30 सालों में डेयरी नेट जीरो को हासिल करना है ।