आज पूरे विश्व में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना है।
जाने कब हुई थी इसकी शुरुआत-
वैसे तो विश्व पर्यावरण दिवस वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मनाया गया था लेकिन विश्व स्तर पर इसके मनाने की शुरुआत 5 जून 1974 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी। 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण और प्रदूषण पर स्टॉकहोम (स्वीडन) में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें करीब 119 देशों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद हर साल को 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का गठन किया गया था साथ ही प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। ये सम्मेलन 5 जून से 16 जून तक आयोजित किया गया था। इस दिन के लिए स्लोगन रखा गया था “केवल एक पृथ्वी” (“Only one Earth”)
जाने क़्या है इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम-
आज हमारा पूरा देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चपेट में है। ऐसे में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम भी अलग रखी गई है। हर साल विश्व पर्यावरण दिवस की अलग थीम रखी जाती है। इस बार इस दिन को मनाने के लिए वर्ष 2021 की थीम “पारिस्थितिकी तंत्र बहाली” निर्धारित की गयी है। इस दिन आयोजित होने वाले कार्यक्रम इसी थीम पर आधारित होंगे। पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर पेड़-पौधे लगाना, बागों को तैयार करना और उनको संरक्षित करना, नदियों की सफाई करना जैसे कई तरीकों से काम किया जा सकता है। वर्ष 2020 के लिए विश्व पर्यावरण दिवस की थीम “जैव विविधता” वर्ष 2019 में “वायु प्रदूषण” और उस से पहले वर्ष 2018 में इसकी थीम “बीट प्लास्टिक पोल्यूशन”रखी गयी थी।
पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली-
पारिस्थितिक तंत्र की बहाली का अर्थ है “क्षतिग्रस्त या नष्ट हो चुके पारिस्थितिक तंत्र को फिर से उसकी रिकवरी में सहायता करना”। इसमें उन पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण भी शामिल है जो नाजुक हैं या अभी भी बरकरार हैं।पारिस्थितिकी तंत्र को कई तरह से बहाल किया जा सकता है। पेड़ लगाना पर्यावरण की देखभाल के सबसे आसान और सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। पारिस्थितिक तंत्र को अनुकूलित और पुनर्स्थापित करने के लिए शहरी और ग्रामीण परिदृश्य में अलग-अलग तरीके हैं। लोगों को पर्यावरण पर दबाव को भी खत्म करने की जरूरत है।