केंद्र सरकार ने ऐसे मिशन की शुरुआत की है, जिसमें भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की बहुत बड़ी ताकत है। जी हां, इस दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों से ”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” लॉन्च किया गया है। सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को जल्द से जल्द शुरू करने की दिशा में बेहद चुस्ती-फुर्ती से कार्य किया और महज तीन साल के भीतर वह कर दिखाया, जो पूरी दुनिया के सामने बड़ी मिसाल बनेगा।
कैसे काम करेगी यह योजना :
यूनिक हेल्थ ID करेगी काम
”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” के जरिए इसी कड़ी में आज भारत ने एक और कदम आगे बढ़ाया है। बता दें योजना का शुभारंभ पीएम मोदी द्वारा 27 सितंबर 2021 को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया। इस फ्लैगशिप योजना का उद्देश्य देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल बनाना है। इसमें हर भारतीय नागरिक की एक यूनिक हेल्थ ID बनाई जाएगी, जिससे एक देशव्यापी डिजिटल हेल्थ ईको-सिस्टम तैयार किया जा सकेगा।
बनाए जाएंगे हेल्थ कार्ड
अब भारत में एक ऐसे हेल्थ मॉडल पर काम जारी है, जो होलिस्टिक और समावेशी होगा। यह एक ऐसा मॉडल होगा जिसमें बीमारियों से बचाव पर बल होगा। प्रिवेंटिव हेल्थ केयर, बीमारी की स्थिति में इलाज सुलभ, सस्ता और सबकी पहुंच में होगा। यानि इस मिशन के माध्यम से न केवल शहरी बल्कि दूर दराज के गांव में रहने वाले लोगों को भी इसका लाभ मिल सकेगा। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश की जनता को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाओं को चयन करने का मौका मिलेगा। यह मिशन हेल्थ सेक्टर में आगे चलकर मील का पत्थर साबित होगा। इसके तहत यूजर के लिए “यूनिक हेल्थ कार्ड” बनाए जाएंगे।
कैसे बनेगा हेल्थ कार्ड ?
गूगल प्ले स्टोर पर NDHM हेल्थ रिकॉर्ड (पीएचआर एप्लीकेशन) उपलब्ध कराया गया है। इसके जरिए ही रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके जरिए यूजर की एक यूनीक आईडी क्रिएट होगी। जिस किसी के पास मोबाइल नहीं है, वे अपना रजिस्ट्रेशन सरकारी-निजी अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, वेलनेस सेंटर और कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर करा सकते हैं और अपना हेल्थ आईडी कार्ड बनवा सकते हैं। इसके तहत उपयोगकर्ता से बेहद सामान्य जानकारियां पूछी जाएंगी। जैसे नाम, जन्म की तारीख, पता इत्यादि।
क्या होगा लाभ:
मरीज की ‘मेडिकल हिस्ट्री’ से मिलेगा फायदा
हेल्थ कार्ड के जरिए स्वास्थ्य से संबंधित सारी जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में जुड़ती जाएंगी। इससे उपयोगकर्ता की एक ”मेडिकल हिस्ट्री” तैयार हो जाएगी। ऐसे में जब कभी हेल्थ कार्ड यूजर किसी अस्पताल में इलाज कराने जाएंगा, तो उसके सारे पुराने रिकॉर्ड, डिजिटल फॉर्मेट में मिल जाएंगे। केवल इतना ही नहीं, अगर आप किसी दूसरे शहर के अस्पताल भी जाएं तो वहां भी यूनीक कार्ड के जरिए डेटा देखा जा सकेगा। इससे डॉक्टरों को इलाज में आसानी होगी। साथ ही कई नई रिपोर्ट्स या प्रारंभिक जांच आदि में लगने वाला समय और खर्च बच जाएगा।
कैशलैस और पेपरलैस होंगी स्वास्थ्य सुविधाएं
केवल इतना ही नहीं राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार से सम्मानित आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से लाभार्थियों को कैशलेस और पेपरलेस स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। स्टेक होल्डर के यूजर एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाने के लिए आईटी प्लेटफॉर्म में लगातार नवाचारों का समावेश किया गया है।
हेल्थ डेटा होगा सुरक्षित
अस्पतालों में मरीजों का डेटा सुरक्षित रख पाना बेहद पेचीदा काम है। इससे अस्पतालों पर भी मरीजों के पुराने रिकॉर्ड संभालकर रखने का एक अलग बोझ रहता है। वहीं इस व्यवस्था में कागजों और रिकॉर्ड रूप के रूप में स्थान की आवश्यकता होती है। किन्हीं कारणवश यदि किसी मरीज के रिकॉर्ड की आवश्यकता होती थी तो उन्हें रिकॉर्ड रूम में तलाश पाना बेहद मुश्किल होता था। अब इस व्यवस्था को बदलने में ”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” काफी कारगर साबित होगा। इस हेल्थ मिशन के तहत अब मरीजों का मेडिकल डेटा अस्पताल में नहीं, बल्कि डेटा सेंटर में रखा जाएगा, जो कार्ड के जरिए डिजिटल रूप में देखा जा सकेगा। ऐसे में अगर आप कहीं इलाज कराने जाते हैं तो यह आपके लिए यूनिक हेल्थ कार्ड की तरह काम करेगा। इसमें सारी मेडिकल जानकारी मिल जाएगी। साथ ही सालों-साल ये मेडिकल रिकॉर्ड संभालकर रखे जा सकेंगे। जैसे आधार कार्ड में प्राइवेसी सबसे महत्वपूर्ण है, ठीक वैसे ही इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी डेटा को सुरक्षित रखा जाएगा। यदि किसी मरीज का रिकॉर्ड किसी को एक्सेस करना है, मसलन डॉक्टर या अस्पताल को वो आपकी सहमति से ही हो सकेगा।
रिकॉर्ड से इलाज में डॉक्टर के लिए भी होगी आसानी
भारत के हेल्थ सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करने के लिए मेडिकल एजुकेशन में भी अभूतपूर्व रिफॉर्म्स हो रहे हैं। 7-8 साल में पहले की तुलना में आज अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल मैनपावर देश में तैयार हो रही है। देश के तमाम डॉक्टरों को अब मेडिकल क्षेत्र में इस बड़े बदलाव के साथ मरीजों का इलाज करने में काफी आसानी होगी। मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड से इलाज में डॉक्टर को काफी आसानी होगी। इसके आधार पर डॉक्टर की पहले के रिकॉर्ड से मरीज के शरीर के बारे में अत्यधिक जानकारी जुटा सकेंगे जो इलाज के लिए काफी काम आती है।
मरीज को दी गई दवाओं की भी होगी तमाम जानकारी
”आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन” में मरीज को दो गई दवाओं से जुड़ी तमाम जानकारी होगी। सीधे शब्दों में अगर कहें तो आज के दिन अगर हम किसी डॉक्टर से इलाज करवा रहे हैं और उसका पर्चा हमारे पास है, उसे हम यदि पांच साल बाद खोजेंगे तो सामान्यतः: 90 से 95 फीसदी लोग वो पर्चियां या इलाज से जुड़ी जांच रिपोर्ट संभालकर नहीं रख पाते हैं। यह एक ऐसी जगह होगी, जहां पर आपके सारे रिकॉर्ड और डॉक्टर की पर्चियां सुरक्षित रहेंगी। इसका सीधा मतलब यह भी रहेगा कि अब लोगों को अपनी मेडिकल फाइलों को साथ कैरी करके ले जाने की झंझट से भी छुटकारा मिल जाएगा।