सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वह अपने आदेशों का पूर्ण कार्यान्वयन चाहती है। उत्सव की आड़ में वह नागरिकों के जीवन के साथ नहीं खेल सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसी खास समुदाय के खिलाफ नहीं हैं। हम यहां नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए हैं।
रोजगार की आड़ में लोगों की जान खतरे में नहीं डाल सकते
आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने 6 निर्माताओं को यह कारण बताने का आदेश दिया था कि उनके आदेशों की अवमानना के लिए उन्हें दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह पटाखों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करते हुए रोजगार की आड़ में अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिससे कि इस आदेश को लागू किया जा सके। पीठ ने कहा कि आज भी पटाखे बाजार में खुलेआम उपलब्ध हैं। एक खास छाप बन रही है। यह अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए कि इसे विशेष उद्देश्य के लिए प्रतिबंधित किया गया था। हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हम यहां लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हैं। हमने पटाखों पर शत प्रतिशत प्रतिबंध नहीं लगाया है।