March 29, 2024

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ऋषि पंचमी आज, व्रत करने से इस दोष की होती है समाप्ति,जानें व्रत कथा और शुभ मूहर्त, इन मंत्रों का करें जाप

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है । इस दिन सप्त ऋषि की पूजा करने की परंपरा है । इस व्रत में एक बार भोजन करने का विधान है ।  मोरधन, कंद, मूल का आहार कर व्रत करें । साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।

पाप से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है व्रत

ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों की पूजा का विधान है । कहा जाता है कि ये व्रत पाप से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है । मान्यता है कि इस व्रत को रखने से रजस्वला दोष से मुक्ति हो जाती हैं । अगर महिलाएं ऋषि पंचमी व्रत के दौरान गंगा स्नान करें तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है । 

जानें पूरी व्रत कथा

भविष्यपुराण की एक कथानुसार एक उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी सुशीला के साथ रहता था ।  उसके एक पुत्र और पुत्री थी ।  दोनों ही विवाह योग्य थे ।पुत्री का विवाह उत्तक ब्राह्मण ने सुयोग्य वर के साथ कर दिया, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद उसके पति की अकाल मृत्यु हो गई । इसके बाद उसकी पुत्री मायके वापस आ गई । एक दिन विधवा पुत्री अकेले सो रही थी, तभी उसकी मां ने देखा की पुत्री के शरीर पर कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं । अपनी पुत्री का ऐसा हाल देखकर उत्तक की पत्नी परेशान हो गई ।  वह अपनी पुत्री को पति उत्तक के पास लेकर आई और बेटी की हालत दिखाते हुए बोली कि, मेरी साध्वी बेटी की ये गति कैसे हुई’? तब उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के बाद देखा कि पूर्वजन्म में उनकी पुत्री ब्राह्मण की पुत्री थी, लेकिन राजस्वला के दौरान उससे गलती हो गई ।  ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था । इस वजह से उसे ये पीड़ा हुई है ।  फिर पिता के बताए अनुसार पुत्री ने इस जन्म में इन कष्टों से मुक्ति पाने के लिए पंचमी का व्रत किया ।। इस व्रत को करने से उत्तक की बेटी को अटल सौभाग्य की प्राप्ति हुई ।

जानें शुभ मूहर्त

पंचांग के अनुसार ऋषि पंचमी पूजन का शुभ मुहूर्त 1 सितंबर को प्रात: 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 37 मिनट तक है । इ्स दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी गंगा में स्नान करना उत्तम होता है,
शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर गोबर से लेपन करें और चौकोर मंडल बनाकर उस पर सप्त ऋषि  कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वसिष्ठ की स्थापना करें । षोडोपचार से पूजन करें । उन्हें पुष्ण, जनेऊ, मिठाई, फल चढ़ाए ।

ऋषि पंचमी पर इस मंत्रों का जाप करना शुभ माना गया है-

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।