समुंदर के नीचे दुश्मनों से लोहा लेने के लिए भारतीय नौसेना ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत का पहला परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव शुक्रवार को विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल कर लिया गया। 10 हजार टन वजनी इस जंगी जहाज का निर्माण इतना गोपनीय रखा गया था कि सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की निगरानी में ही इसे बनाने का काम 7 साल में पूरा हुआ।
इस तरह का नौसैन्य मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम केवल फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन के पास ही है। इस ट्रैकिंग पोत के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।
आईएनएस ध्रुव की खासियत
* इसकी लंबाई 175 मीटर, बीम 22 मीटर, ड्राफ्ट छह मीटर है और यह 21 समुद्री मील की गति प्राप्त कर सकता है।
* यह दो आयातित 9,000 किलोवाट संयुक्त डीजल और डीजल कॉन्फिगरेशन इंजन और तीन 1200 किलोवाट सहायक जनरेटर से संचालित है।
* अत्याधुनिक सक्रिय स्कैन एरे रडार या एईएसए से लैस यह जहाज एंटीना के जरिए सीधे सैटेलाइट से जुड़ा है।
* ये सैटेलाइट ही दूर से आ रही मिसाइल का पता लगाकर शिप में मौजूद रडार तक जानकारी भेजता है।
* भारत पर नजर रखने वाले जासूसी उपग्रहों की निगरानी के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रम को स्कैन करने की क्षमता है।
* इस ट्रैकिंग शिप पर लगे आधुनिक सर्विलांस रडार से बैलिस्टिक मिसाइलों को आसानी से ट्रैक करने के बाद नष्ट किया जा सकता है।
* यह भारतीय नौसेना की क्षमता को अदन की खाड़ी से मलक्का, सुंडा, लोम्बोक, ओमबाई और वेटार जलडमरूमध्य के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में प्रवेश मार्गों तक क्षेत्र की निगरानी के लिए जोड़ देगा।