देश भर में सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन हर साल 11 से 17 जनवरी के बीच किया जाता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा आयोजित होने वाले इस सप्ताह का उद्देश्य है लोगों को सड़क पर चलने के नियमों के बारे में जागरूक करना, ताकि सड़क पर कम से कम दुर्घटनाएं हों और लोगों की जान बच सके। यह एक ऐसा अभियान है, जो बिना जनभागीदारी के सफल नहीं हो सकता। जी हां सरकार द्वारा बनाये गए नियमों का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी तब और बढ़ जाती है, जब हम सड़क दुर्घटनाओं और उनमें हुईं मौतों के आंकड़े देखते हैं।
कैसे मनाया जाता है सड़क सुरक्षा सप्ताह
देश भर के स्कूल, कॉलेज व शिक्षण संस्थानों, कार्यालयों, आरटीओ के दफ्तरों और तो और नुक्कड़ एवं चौराहों पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। इसमें लोगों को सड़क सुरक्षा, वाहन चलाने के नियमों और वाहन चलाते वक्त बरती जाने वाली सावधानियों से अवगत कराया जाता है। इस जागरूकता अभियान के लिए सेफ्टी पोस्टर, बैनर, फिल्म, पॉकेट गाइडलाइंस, पैम्प्लेट, आदि के माध्यम से लोगों तक बात पहुंचायी जाती है। इस अभियान में मंत्रालय के साथ-साथ कई सारे गैर सरकारी संगठन भाग लेते हैं।
हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौत
देश भर में हर साल करीब साढ़े चार लाख के ऊपर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें करीब डेड़ लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में प्रति दिन 415 लोग मारे जाते हैं । सड़क हादसे में 70 फीसदी मौतें 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग में होती हैं ।
जिला समिति को निम्न चीजों को सुनिश्चित कराना होता है-
• जिले में सड़क सुरक्षा गतिविधियों को मॉनीटर करना
• सड़क दुर्घटनाओं के डाटा को रिकॉर्ड एवं उनकी मॉनीटरिंग करना
• सड़क दुर्घटनाओं के कारणों का अध्ययन करना
• राष्ट्रीय एवं राज्य सड़क सुरक्षा परिषद को सुणव भेजना
• जिन स्थानों पर दुर्घटनाएं अधिक होती हैं, उन स्थानों को चिन्हित कर दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय करना
• सड़क सुरक्षा मानकों को लागू करवाना
• सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सेफ्टी प्लान तैयार कर उन्हें लागू करना
• लोगों को सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूक करना
• ट्रैफिक में स्पीड लिमिट की समीक्षा करना
• ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करना, जो सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने में भागीदारी निभाते हैं।
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