विश्व डाक दिवस 2021 : एक ऐसे शख्स जो 29 वर्षों से हर रोज लिख रहे हैं अपनी माँ को पत्र, जाने थीम

हर वर्ष 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है । 9 अक्टूबर 1874 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना स्विट्जरलैंड में हुई थी ।  जापान की राजधानी टोक्यो में 1969 में हुए यूपीयू कांग्रेस में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया गया था। ये दिन डाक सर्विस और उनके लिए काम करने वालों के लिए समर्पित है। 1 जुलाई 1876 को भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था।  भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला एशिया का पहला देश था।

विश्व डाक दिवस 2021 की थीम

विश्व डाक दिवस 2021 की थीम  इनोवेट टू रिकवर है ।

28 वर्षों से लिख रहे माँ को चिट्ठी

आज 9 अक्‍टूबर को विश्‍व डाक दिवस के अवसर पर हम  एक ऐसे शख्‍स के बारे में बताएंगे । जो पिछले 29 वर्षों से हर रोज़ अपनी मॉं को पत्र लिखते हैं। नाम है डॉ. आलोक चांटिया, जो श्री जयनारायण पीजी कॉलेज, लखनऊ में मानव विज्ञान के प्रवक्ता हैं और इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय मुक्त विश्‍वविद्यालय के काउंसिलर हैं। यूपी के जाने माने मानवशास्त्रियों में से एक डॉ. आलोक चांटिया बहराइच के मूल निवासी हैं। नौकरी के सिलसिले में जब वे बहराइच से लखनऊ आकर रहने लगे तो एक दिन उनकी मॉं ने कहा, “क्या हम यहां अकेले रह जाएंगे?” उन्होंने जवाब दिया, “मैं आपको रोज़ चिठ्ठी लिखूंगा।”

लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज

लखनऊ आने के बाद 31 दिसंबर 1991 को उन्होंने अपनी मॉं को पहली चिठ्ठी लिखी और तब से लेकर आज तक वो हर रोज़ अपनी मॉं को चिठ्ठी लिखते आ रहे हैं। केवल उसी दिन नहीं लिखते हैं, जिस दिन वे स्वयं अपने गृह जनपद में होते हैं, या उनकी मॉं उनके पास होती हैं। डॉ. चांटिया के इस कार्य के लिए लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज किया जा चुका है।   

घर व पड़ोस के बच्चों को मिल रही सीख  
 
डॉ. चांटिया ने बताया कि उनकी मॉं अब 80 वर्ष की हो गई हैं। ऑंखें कमजोर हो जाने की वजह से अब वो पढ़ नहीं पाती हैं, इसलिए वो घर व आस-पड़ोस के बच्चों से चिठ्ठी पढ़वाती हैं। खास बात यह है कि मेरी ज्यादातर चिठ्ठ‍ियों में दार्शनिक बातें होती हैं। मॉं के लिए चिठ्ठी पढ़ने वाले बच्चों को लिखने की शैली का पता चलता है, साथ ही उन बच्चों के लिए मेरी चिठ्ठि‍यां ज्ञानवर्धन का काम भी करती हैं। डॉ. चांटिया कहते हैं, “चिठ्ठ‍ियां ही हैं, जिनके जरिए मैं अपनी मॉं से हरदम जुड़ा महसूस करता हूँ और उनसे मुझे बहुत ताकत मिलती है।”

रिश्तों को जोड़ने में पत्र की अहम भूमिका

पत्र के माध्यम से रिश्तों को जोड़ने में मदद मिलती है । फोन-कॉल या एसएमएस से कहीं ज्यादा प्रभावशाली चिठ्ठी हो सकती है,हम  इंस्‍टेंट मैसेज से आप अपनी बात कह तो सकते हैं,लेकिन रिश्‍तों को जोड़ने का काम केवल पत्र ही कर सकता है।