हर साल 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। पूरे विश्व में जंगलों को काटे जाने, हवा, भूमि, समुद्र, पहाड़, नदियों, आदि में प्रदूषण, जंगली जानवरों की तस्करी और कई सारी गतिविधियों की वजह से प्राकृतिक संसाधनों पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि भारत में कई कदम ऐसे उठाये गए हैं, जो प्राकृति को संरक्षित रखने की दिशा में कारगर सिद्ध हुए। जिनमें स्वच्छ भारत अभियान, प्रोजेक्ट टाइगर, मांग्रोव फॉर फ्यूचर, आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की वजह से पृथ्वी को बहुत नुकसान हो चुका है
जैसा कि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि अनियंत्रित और बेतरतीब ढंग से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की वजह से पृथ्वी को बहुत नुकसान हो चुका है। पृथ्वी के ऊपर आसमान में ओज़ोन की परत में छिद्र हो चुके हैं। पहाड़ों पर जमने वाले ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र के पानी का जलस्तर ऊपर उठ रहा है, समुद्र व नदियों का पानी तेज़ी से दूषित हो रहा है, जिसकी वजह से उसमें ऑक्सीजन की कमी हो रही है। साथ ही पृथ्वी का तापमान निरंतर बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध इंटर गवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (आईपीसीस) से जुड़े वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले 25 से 50 वर्षों में पृथ्वी का तापमान 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो उसके बहुत सारे दुष्प्रभाव पूरी दुनिया में देखने को मिलेंगे। ज़ाहिर है वर्तमान के तापमान को कम तो कर नहीं सकते, लेकिन 2 डिग्री तक बढ़ने से रोक जरूर सकते हैं।
पर्यावरण को बचाने के लिए उठाए गए कदम
मनुष्यों ने अपने आराम के लिए जिन प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया उन्हें बनने में करोड़ों वर्ष लगे। इस हनन को रोकने के लिए पूरी दुनिया में ऐसे कदम उठाये गए जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। उनमें से कुछ कदम इस प्रकार हैं: –
* वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा, जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, आदि
* भू-क्षरण को रोकने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण
* जल संरक्षण- पानी को किफायत से खर्च करना, जैसे किचन के पानी को बागीचे में डालना, आदि
* खाली पड़ी जमीनों में अधिक से अधिक पेड़ लगाना
* बिजली को किफायत से खर्च करना
* री-साइकिल हो जाने वाले उत्पादों का प्रयोग
* कम दूरी के लिए वाहनों का प्रयोग नहीं करना
* प्लास्टिक के बजाए कपड़े या पेपर के बैग का प्रयोग
* खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल
* वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट या रेन वॉटर हार्वेस्टिंग प्लांट
* जैविक ईंधन के प्रयोग को निम्न स्तर तक ले जाना
प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में योगदान दे सकते हैं
ऐसे तमाम छोटी-छोटी चीजें हैं, जो हम अपने स्तर पर करके प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में योगदान दे सकते हैं। सरकार जो कर रही है, वह वृहद स्तर पर है। सरकार कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों में प्रदूषण को नियंत्रित कर सकती है, लेकिन घर पर कोयले की अंगीठी जलाने वालों को रोकना नामुमकिन है।
सरकार नदियों पर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर दूषित पानी को स्वच्छ बनाने का काम कर सकती है, लेकिन आम लोगों को उसी पानी में गंदगी करने से रोकना मुश्किल है। ऐसे तमाम उदाहरण हैं, जिनसे यह साबित होता है कि हर व्यक्ति को प्रकृति के प्रति संवदेनशील होने की जरुरत है।