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पर्यटन नगरी रानीखेत को रेल लाइन से जोड़ने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। छावनी बोर्ड के जनप्रतिनिधियों तथा भाजपा कार्यकर्ताओं ने ब्रिटिश काल में रामनगर से रानीखेत तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए सर्वे का हवाला देते हुए वर्तमान में सेना, पर्यटकों व आम लोगों की सुविधाओं के मद्देनजर रामनगर-रानीखेत रेल लाइन की सर्वे को संस्तुति प्रदान करने की मांग उठाई है। इस आशय का ज्ञापन परिवहन मंत्री को भेजा है।
ब्रिटिशकाल में रामनगर से रानीखेत तक रेलवे लाइन के सर्वे का दिया था हवाला
ज्ञापन में कहा गया है रानीखेत के अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य और जलवायु से अभिभूत होकर 1869 में ब्रिटिश शासकों ने यहां छावनी की स्थापना की। इसी साल जब वायसराय लार्ड मेयो रानीखेत भ्रमण पर आए, तो यहां के सौंदर्य से प्रभावित होकर उन्होंने कई विकास योजनाओं को मूर्त रूप दिया। 1870-72 में उन्होंने भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी को शिमला से स्थानांतरित कर रानीखेत में स्थापित करने की योजना बनाई। साथ ही लार्ड मेयो ने गवर्नर जनरल डलहौजी द्वारा डाली गई रेलवे की नींव को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से रामनगर से रानीखेत तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए सर्वे करने भी आदेश दिए। लेकिन लार्ड मेयो की असमय मृत्यु के बाद सर्वे का कार्य धरातल पर नहीं उतर सका।
रामनगर-रानीखेत रेल लाइन की सर्वे की संस्तुति प्रदान करने की उठाई मांग
कैंट के जनप्रतिनिधियों व भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य गठन के 21 सालों बाद भी पर्यटन नगरी रानीखेत विकास की मुख्य धारा में शामिल नहीं हो पाई है। जबकि साल भर बड़ी संख्या में सैलानी यहां भ्रमण को आते हैं। कुमाऊं, नागा रेजीमेंट का सेंटर, एसएसबी का सीमांत मुख्यालय भी रानीखेत में स्थित है। इन सभी की सुविधाओं और विकास के मद्देनजर रामनगर-रानीखेत रेल लाइन की सर्वे की संस्तुति प्रदान करने की मांग परिवहन मंत्री से की है।
कार्यकर्ता शामिल रहे
ज्ञापन भेजने वालों में कैंट बोर्ड के नामित सदस्य मोहन नेगी, पूर्व उपाध्यक्ष संजय पंत सहित भाजपा कार्यकर्ता शामिल हैं।
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